रविवार, 28 जुलाई 2013

किस को करना है हिट किसको जाना है पिट मिलकर बतायें

स्कोर क्या हुआ
कहीं दो कहीं तीन
कहीं तो कुछ
भी नहीं हुआ
आया जरूर था
कह कर नहीं गया
बस जीरो एक दिखा
कितने हिट मिले
रोज का रोज
कौन गिनता फिरे
कहीं उम्दा दिखे
कहीं सुंदर दिखे
कहीं वाह वाह
हर कोई लिखे
कुछ समझ में
थोड़ा सा आये
कुछ पूरा ऊपर
ऊपर ही निकल
कर उड़ जाये
अब किससे
क्या कहा जाये
सब्जी की दुकान में
मछली भी मिल जाये
गूगल से बुलाये
ट्वीटर से हकाये
खुद आये ना आये
पता चिपका कर
ही चला जाये
ब्लागिंग की दुनिया
गोल है चपटी नहीं
इधर से जाने वाला
उधर भी मिल जाये
मैं तेरे घर में आऊँ
तू मेरे घर में आये
मैं तेरे पै दे जाऊँ
तू मेरे पै दे जाये
ना बैट नजर आये
ना बौल नजर आये
आँख बंद कर के
चौके छक्के उड़ाये
टिप्पणी के खेल
का तेंदुलकर हो जाये
अपना अपना
बैट अपने साथ
लेकर आयें
अपनी बौल
दूसरे के हाथ
ना थमायें
टीम भावना
सर्वोपरि बनायें
फुटबाल खेलने
वालों को काहे
मैच देखने के
लिये बुलायें
अच्छा हो
अगर इस सब
को नियम बना
संविधान में
भी ले आयें
देश एक है
नेता एक हैं
हम भी साथ
कुछ निभायें ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लागिंग की दुनिया
    गोल है चपटी नहीं
    इधर से जाने वाला
    उधर भी मिल जाये
    मैं तेरे घर में आऊँ
    तू मेरे घर में आये
    मैं तेरे पै दे जाऊँ
    तू मेरे पै दे जाये ...बहुत बढ़िया....कोई आए ना आए हम तो आएंगे..

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  2. ले दे के है इक शगल, टिप्पण का व्यापार |
    इक के बदले दो मिले, रविकर के दरबार |
    रविकर के दरबार, एक रूपये में मनभर |
    काटे पांच रसीद, खाय बारह में बब्बर |
    यहाँ बटें नि:शुल्क, नहीं ब्लॉगर को खेदे |
    दे दे दे दे राम, नहीं तो ले ले ले दे ||

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  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (29-07-2013) को रंगबिरंगी गुजारिश (चर्चा मंच-1321)में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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