डा0 पाँडे देवेन्द्र कुमार
पेशे से चिकित्सक कम
एक समाज सेवक अधिक हो जाते है
दवाई कम खरीदवाते हैं
शुल्क महंगाई के हिसाब से
बहुत कम बताते हैं
लगता है अगर उनको गरीब है मरीज उनका
मुफ्त में ही ईलाज कर ले जाते हैं
बहुत ही कम होती है दवाईयां
और लोग ठीक भी हो जाते हैं
पछत्तर की उम्र में
खुश रहते हैंं और मुस्कुराते हैंं
सोच को सकारात्मक रखने के
कुछ उपाय भी जरूर बताते हैं
इतना कुछ है बताने को
पर पन्ने कम हो जाते हैं
काम के घंटों में
मरीजों में बस मशगूल हो जाते हैं
बहुत से होते हैं प्रश्न उनके पास
जो मरीज से
उसके रोग और उसके बारे में पूछे जाते हैंं
संतुष्ट होने के बाद ही
पर्चे पर कलम अपनी चलाते हैं
बस जरूरत भर की दवाई ही
थोड़ी बहुत लिख ले जाते हैं
कितने लोग होते हैं उनके जैसे
जो अपने पेशे से इतनी ईमानदारी के साथ पेश आते हैं
“हिप्पौक्रेटिक ओथ” का जीता जागता उदाहरण हो जाते हैं
काम के घंटो के बाद भी उर्जा से भरे पाये जाते हैं
बहुत से विषय होते हैं उनके पास
किसी एक को बहस में ले आते हैं
आज कह बैठे
"ब्रेन तैयार जरूर कर रहे हैं आप
क्योंकि आप लोग पढ़ाते हैं
ब्रेन के साथ साथ क्या दिल की पढ़ाई भी कुछ करवाते हैं ?"
दिल की पढ़ाई क्या होती है?
पूछने पर समझाते हैं
दिमाग सभी का एक सा हम पाते हैं
उन्नति के पथ पर उससे हम चले जाते हैं
समाज के बीच में देख कर व्यवहार
दिल की पढ़ाई की है या नहीं का अंदाज हम लगाते हैं
जवाब इस बात का पढ़ाने वाले लोग कहाँ दे पाते हैं
शिक्षा व्यवस्था आज की दिमाग से नीचे कहाँ आ पाती है
दिल की पढ़ाई कहीं नहीं हो रही है
बच्चों के सामाजिक व्यवहार से ये कलई खुल जाती है
यही बात तो डाक्टर साहब बातों बातों में
हम पढ़ाने वालों को समझाना चाहते हैं।
Dr D. K. Pande of almora is a great man . He served in delhi as a surgen. In 1985 he was famous private Dr of Almora serving poor . In almora first X-ray machine installed in his clinic at ashok hotel, at that time the consulting fee of Dr was 2 rupees.Now a day s he gives free advice to poor. specialiy those who comes from adjoining villages.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील भाई , एक शानदार व्यक्तित्व से मिलाने के लिए !
जवाब देंहटाएंलॉन्ग लिव डॉ पाण्डेय !
डा0 पाँडे देवेन्द्र कुमार जी जैसे शानदार व्यक्तित्व से मिलाने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत खुशी हुई सुशील बाबू कि डॉक्टर पांडे के तुम भी वैसे ही प्रशंसक हो जैसा कि मैं. निस्स्वार्थ सेवा-भाव, सृजनात्मक ऊर्जा, किसी शायर या किसी फकीर की सी बेफिक्री और मस्ती जो इस पिचहत्तर साल के नौजवान में है, वो कहीं और नहीं मिलेगी.
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