रविवार, 16 फ़रवरी 2014

जो सच है उसको उल्टा कर उस की पीठ पर कुछ काम करते हैं



चलिये देश पर चर्चा करते हैं 
देश के नेता पर चर्चा करते हैं 
चर्चा करने में क्या जाता है 
किसे पता है हम अपने घर अपने शहर अपने कार्यालय 
अपने विश्वविद्यालय में क्या करते हैं

देश का नेता जो बनेगा
वो कौन सा हमारी सोच हमारे कामों को
देखने के लिये हमारे घर पर आ रहा है 
घर पर चलो पड़ोसी का जीना कुछ हराम करते हैं

आफिस में किसी पर कोई ऐक्ट को लगा कर 
चलो किसी को बदनाम करते हैं 
जातिवाद होता ही है फैलाने के लिये हमेशा 
उसके लिये कुछ पढ़े लिखे लोग भी कुछ काम करते हैं

स्कूल की कक्षाओं का नाश करते हैं
कौन सा मोदी राहुल या केजरीवाल देखने आ रहा है हो रही हैं कि नहीं
परीक्षाओं का भी इंतकाल करते हैं

एक टोपी या झंडा उठा कर जोर शोर से
कुछ लोगों का जीना हराम करते हैं 

कुछ बहस करते हैं देश के बारे में काम करने की 
किसको पड़ी है काम करने वाले को बेकाम करते हैं
किसी दल का सदस्य बन कर अपने दुश्मन का जीना हराम करते हैं

चलो भी देश का पाठ पढ़ते हैं  कुछ लोगों को पढ़ाते हैं  
अखबार में अपने लोगों के साथ मिलकर कुछ खबर बनाते हैं 
बातें किताब की सारी फैलाते हैं 
काम अपने हिसाब से अपने अपने परिवार के नाम करते हैं 

किसे फुरसत है सोचने की क्या हो रहा है उसके आस पास 
चलो चाँद और सूरज की कुछ बात करते हैं । 

चित्र साभार: http://clipart-library.com/

7 टिप्‍पणियां:

  1. जनता क्या कहती है ,क्या करती है इसका किसी को कोई फिकर नहीं १
    latest post प्रिया का एहसास

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  2. सच को उल्टा कर
    उसकी पीठ पर ही तो सारे काम होते हैं
    सच औंधे मुँह पड़ा होता है

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (18-02-2014) को "अक्ल का बंद हुआ दरवाज़ा" (चर्चा मंच-1527) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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