गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

तुम भी सरकार के चुनाव भी सरकार का हमें मत समझाइये

लोक सभा निर्वाचन
के सफल संचालन
हेतु जिला निर्वाचन
अधिकारी ने आदेश
निकाल कर एक
स्वायत्तशाशी संस्था
के कुछ चुने हुऐ
लोगों की चुनाव में
पहली बार ड्यूटी
जो क्या लगाई
ड्यूटी कटवाने के
जुगाड़ लगाने की
होड़ सी लोगों के
बीच तुरंत मच आई
एक दौड़ा बताने
वो एक बड़े दल का
फलाँ फलाँ पदाधिकारी है
संस्था में ही उसे
काम में लगाने की
इधर भी और उधर
भी मारा मारी है
अब यहाँ चुनाव में भी
आप की क्यों गई
मति मारी है
चुनाव करवायेंगे
या प्रचार हमसे
इतनी सी बात
आपके समझ में
पता नहीं क्यों
नहीं आ रही है
हमें चुनाव में
लगा कर क्यों
परेशानी मोल
लेना चाह रहे हैं
जो काम करते हैं
और संस्था के
चुनावों से भी
दूर रहा करते हैं
ऐसे निर्दलीय
लोगों पर आपकी
नजर क्यों नहीं
जा रही है
वैसे भी चुनावों में
सरकारी लोगों की
ड्यूटी ही आज तक
लगाई जाती है
देश का चुनाव भी है
तो हमारी कोई
जिम्मेदारी थोड़ी
हो जाती है
जो लोग चुनाव
लड़ने की कोचिंग
चलाया करते हैं
जवानों को चुनाव में
भाग लेने देने का
पाठ साल भर
पढ़ाया करते हैं
पुलिस की लोकल
इंटेलिजेंस यूनिट
वाले ऐसा हो ही
नहीं सकता कि
ये सारी बातें
आप तक नहीं
पहुँचाया करते हैं
ऐसे लोगों से
चुनाव में भाग लेने
वालों के साथ ही
ड्यूटी निभाने की
जिम्मेदारी छीन
कर ना रुलाइये
लाल पीली नीली
बत्तियों के भविष्य
को किसी के इस
तरह दाँव पर
ना लगाइये 

उलूक तैयार है 
करने को ड्यूटी
उस पर और उसके
जैसे और कई लोगों
पर दाँव लगाइये
ऊपर कहीं से आपको
मजबूर करवाने
के लिये हमे
मजबूर मत करवाइये
चुनाव और देश भक्ति
पर कहीं भाषण
करवाना हो तो
जरूर एक मौका
हमें दिलवाइये।

4 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.04.2014) को "शब्द कोई व्यापार नही है" (चर्चा अंक-1579)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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