सोमवार, 21 अप्रैल 2014

कूड़ा हर जगह होता है उस पर हर कोई नहीं कहता है

एक दल में
एक होता है
एक दल में
एक होता है

क्यों दुखी होता है
कुछ नहीं होता है

किसी जमाने में
ये या वो होता था
अब सब कुछ
बस एक होता है

दलगत से बहुत
ही दूर होता है
दलदल जरूर होता है

कुछ इधर
उसका भी होता है
कुछ उधर
इसका भी होता है
डूबना
खुद नहीं होता है
डुबोने को
तैयार होता है

मिलता है
सभी को कुछ कुछ
आधा
इसके लिये होता है 
आधा
उसके लिये होता है

इसकी
गोष्ठी होती है
कमरा खुला होता है
उसकी
सभा होती है
बड़ा मैदान होता है

इसकी
शिकायत
उससे होती है
उसकी
शिकायत
इससे होती है

इसकी
सभायें होती हैं
उसकी
कथायें होती है

इसकी
नाराजगी होती है
इसे मिठाई देता है
गुस्सा
उसको आता है
उसे नमकीन देता है

बिल्लियों
की रोटियाँ होती है
बंदर
का आयोग होता है

कोई
कुछ नहीं करता है
अखबार
को 
लिखना ही होता है

उलूक
तेरे बरगद
के पेड़ में ही
लेकिन ये
सब नहीं होता है

हर जगह होता है
हर कोई नहीं कहता है

क्यों
परेशान होता है
फैसला
दल दल में
अब नहीं होता है

समर्थन
निर्दलीय
का जरूर होता है
शातिर
होने का ही ये
सबूत होता है

इसका
भी होता है
और
उसका
भी होता है
ये भी
उसके होते है
और
वो भी
उसके होते हैं

तू
कहीं नहीं होने की
सोच सोच कर रोता है

दल में
होने से
कहीं अच्छा
अब तो
निर्दलीय होता है

लिखने
का बस यही
एक फायदा होता है

कहना
ना कहना
कह देना होता है

किसी
का रोकना
टोकना ही तो बस
यहाँ पर नहीं होता है ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. लिखने का बस यही
    एक फायदा होता है
    कहना ना कहना
    कह देना होता है
    किसी का रोकना
    टोकना ही तो बस
    यहाँ पर नहीं होता है........बहुत बढ़िया..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-04-2014) को ""वायदों की गंध तो फैली हुई है दूर तक" (चर्चा मंच-1590) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. कुछ ज्यादा हो गया है राजनीतिक कूड़ा -करकट इस देश में :

    इसके प्रबंधन के लिए टेंडर्स इनवाइट करने पड़ेंगे।

    बढ़िया अप्रस्तुति है भाई सुशील जी सशक्त राजनीतिक हास परिहास व्यंग्य विडंबन

    कूड़ा हर जगह होता है उस पर हर कोई नहीं कहता है
    एक दल में
    एक होता है
    एक दल में
    एक होता है
    क्यों दुखी होता है
    कुछ नहीं होता है
    किसी जमाने में
    ये या वो होता था
    अब सब कुछ
    बस एक होता है
    दलगत से बहुत
    ही दूर होता है
    दलदल जरूर होता है
    कुछ इधर उसका
    भी होता है
    कुछ उधर इसका
    भी होता है
    डूबना खुद नहीं
    होता है
    डुबौने को
    तैयार होता है

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना बुधवार 23 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. लिखने का बस यही
    कायदा होता है,
    अपनी बात जम कर कह डालो
    सब का फ़ायदा होता है.

    जवाब देंहटाएं
  6. लिखने को कौन रोक सकता है ...
    जहां तक अपना मन माने लिखते रहो ...

    जवाब देंहटाएं