गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

सवाल सिस्टम और व्यवस्था का जब बेमानी हो जाता है


कैसे बनेगा कुछ नया उस से 
जिसके शब्दों की रेल में 
गिनती के होते हैं 
कुछ ही डब्बे 

और
उसी रेल को लेकर वो 
सफर करता हो हमेशा ही 
एक इंटरसिटी की यात्रा की तरह 

अपने घर से मौहल्ले बाजार होते हुऐ 
शहर की इस गली से उस गली में 
निकलते हुऐ 

वही रोज की गुड मोर्निंग वही मुस्कुराहटें 

वही पैदल चलने वालों को रौंदने की इच्छा करते हुऐ 
सड़क पर दौड़ते दो पहिये चार पहिये 

कुछ कुत्ते कुछ सांड कुछ पुलिस वाले बेचारे 
नेताओं की ओर से मुँह फेरते हुऐ 
बच्चों और लड़कियों को सीटी बजाकर 
उनके वाहनो को खदेड़ने के करते हुऐ इशारे 

मंदिरों के सामने से उनको ढकती 
खड़ी होती सड़क पर पहँच कर 
दुकाने निकालती 
चालीस फीट उँचाई के नियम को 
तोड़ती बिखेरती मीनारें 

और अंत में 
वही रोज का तालाब 
जिसके किनारे से लगा होता है एक बोर्ड 
यहाँ मछली पकड़ना सख्त मना है 

और कोई भी जहाँ मछली पकड़ता हुआ 
कहीं भी नजर नहीं आता है 

मछलियां अपने आप फंसना फंसाना सीखती है 

कोई किसी से कुछ नहीं कहता है 
या कहो कहना ही नहीं चाहता है 
या नहीं कह पाता है 

कुर्सियाँ भी तो हर जगह होती ही हैं
किनारे किनारे 
उन पर कोई भी कभी भी कहीं भी बैठ जाता है 

बस कुछ गोलियांं रखता है अपने पास 
सबको बाँटता चला जाता है 

गोली देने में कोई जात पात 
कोई ईमान धर्म भी नहीं देखा जाता है 
सब कुछ लोकतांंत्रिक तरीके से किया जाता है

अब 
‘उलूक’ का तो 
रोज का यही काम रह जाता है 
रोज शुरु करता है अपनी यात्रा 
रोज जाता है मछलियां देखता है 
और वापिस भी आ जाता है 

रेल के कुछ डब्बों को आगे पीछे करता हुआ 
दूसरे दिन के लिये एक रेल बनाता है 

ऐसे में कोई कैसे उम्मीद करता है 

कुछ नया खुद का बनाया हुआ 
रेल का एक डब्बा ही सही 
कोई क्यों नहीं किसी को दिखाता है । 

चित्र साभार:

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (04.04.2014) को "मिथकों में प्रकृति और पृथ्वी" (चर्चा अंक-1572)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. कौन बदलेगा ये सिस्टम को ..? सुन्दर भाव..

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  3. बेहतर बात व बेहतर प्रस्तुति , सर धन्यवाद !

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  4. यही है व्यवस्था का मकड़जाल और लोकतंत्र का तंत्रलोक!!

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  5. सभी नए डब्बे के इन्तजार में है .....

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  6. सब पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं, फिर कौन बनाये एक नया डब्बा...

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  7. आपकी इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (27-04-2014) को ''मन से उभरे जज़्बात (चर्चा मंच-1595)'' पर भी होगी
    --
    आप ज़रूर इस ब्लॉग पे नज़र डालें
    सादर

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  8. नमस्ते.....
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की ये रचना लिंक की गयी है......
    दिनांक 27 मार्च 2022 को.......
    पांच लिंकों का आनंद पर....
    आप भी अवश्य पधारें....

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  9. कब बदलेगा काल... शायद कभी नहीं
    उम्दा रचना

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  10. कुछ चीजेँ शायद कभी नहीं बदलती।किसी मसीहा के इन्तजार में जस की तस बनी हुई रह जाती हैं।हमेशा की तरह शानदार उलूक दर्शन।।बधाई और शुभकामनाएं सुशील जी 🙏🙏

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  11. रेल के डिब्बे बदल जाते हैं लेकिन ईंजन बदल कर भी बदलता नहीं ।।
    विचारणीय रचना ।

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  12. The important question paper for the 11th grade in the AP Open School will be released in 2023. This is the most up-to-date information on the AP Open School Society. AP Open School 11th Important Question Paper 2023 will be available shortly for download. We keep our site up to date with AP Open School 11th Important Question Paper 2023. AP Open School 11th Previous Paper After the announcement, you may download the AP OSS Intermediate Latest Question Paper 2023 from this page at any time. Students must have their Syllabus wises supply these Sample Paper in order to gain AP Open School 11th Important Question Paper 2023.

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