मिलती थी रास्ते में
कुत्ते का पिल्ला लिये हुऐ अपने हाथों में
देख कर किसी को भी मुस्कुरा देती थी
कहते थे लोग
बच्चे पैदा किया करती थी
कुछ ही दिन रखती थी पास में
फिर किसी दिन
शहर के पास की नदी में ले जा कर
उल्टा डुबा देती थी
लौट आती थी मुस्कुराती थी
फिर उसी तरह
फिर वही होता था
कुत्ते का पिल्ला भी
बहुत दिन तक साथ में नहीं रहता था
एक दिन नदी में ही डूब कर मर गई
देखा नहीं था
पर
किसी को ऐसा जैसा ही कहते सुना था
किसी को ऐसा जैसा ही कहते सुना था
सालों गुजर गये फिर सब भूल गये
कल अचानक रास्ते में
एक लड़की
बिल्कुल उसकी जैसे फोटो प्रतिलिपि
सामने सामने जब पड़ी
यादों की घड़ी जैसे उल्टी चल पड़ी
कुछ यादें
भूली नहीं जाती हैं
कहीं किसी कोने में पड़ी रह ही जाती हैं
जिनके साथ साथ
समाज में प्रतिष्ठित
कुछ लोगों की यादें भी
लौट आती हैं ।
चित्र साभार: https://www.123rf.com/
चित्र साभार: https://www.123rf.com/
वाह बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबढिया लेखन , लेकिन सर यादें सिर्फ यादें ही होती हैं , ये हमें शोक्ड करें इससे बचने के लिए आप आगे की ओर वाँक्ड करें ! अर्थात जिंदगी को जीने के लिए पीछे न मुडें आगे की तरफ चलते रहें , तो खुद भी खुश और लोग भी खुश ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (30-05-2014) को "समय का महत्व" (चर्चा मंच-1628) पर भी है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति...
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