अपनी
प्रकृति के
हिसाब से
हर
किसी को
अपने
लिये काम
ढूँढ लेना
बहुत
अच्छी तरह
आता है
एक
कबूतर
होने से
क्या होता है
चालाक
हो अगर
कौओं को
सिखाने
के लिये भी
भेजा जाता है
भीड़
के लिये
हो जाता है
एक बहुत
बड़ा जलसा
थोड़े से
गिद्धों को
पता होता है
मरा
हुआ घोड़ा
किस जगह
पाया जाता है
बहुत
अच्छी बात है
अगर कोई
काली स्याही
अंगुली में
अपनी
लगाता है
गर्व करता है
इतराता हुआ
फोटो भी
कई खिंचाता है
चीटिंयों की
कतार चल
रही होती है
एक तरफ को
भेड़ो
का रेहड़
अपने हिसाब से
पहाड़ पर
चढ़ना चाहता है
एक
खूबसूरत
ख्वाब
कुछ दिनों
के लिये ही सही
फिल्म की तरह
दिखाया जाता है
देवता लोग
नहीं बैठते हैं
मंदिर मस्जिद
गुरुद्वारे में
हर कोई
भक्तों से
मिलने
बाहर को
आ जाता है
भक्तों
की हो रही
होती है पूजा
न्यूनतम
साझा कार्यक्रम
के बारे में
किसी
को भी
कुछ नहीं
बताया जाता है
चार दिन
शादी ब्याह
के बजते
ढोल नगाड़ों
के साथ
कितना भी
थिरक लो
उसके बाद
दूल्हा
अकेले दुल्हन के
साथ जाता है
तुझे
क्या करना है
इन
सब बातों से
बेवकूफ ‘उलूक’
तेरे पास
कोई
काम धाम
तो है नहीं
मुँह उठाये
कुछ भी
लिखने को
चला आता है ।
प्रकृति के
हिसाब से
हर
किसी को
अपने
लिये काम
ढूँढ लेना
बहुत
अच्छी तरह
आता है
एक
कबूतर
होने से
क्या होता है
चालाक
हो अगर
कौओं को
सिखाने
के लिये भी
भेजा जाता है
भीड़
के लिये
हो जाता है
एक बहुत
बड़ा जलसा
थोड़े से
गिद्धों को
पता होता है
मरा
हुआ घोड़ा
किस जगह
पाया जाता है
बहुत
अच्छी बात है
अगर कोई
काली स्याही
अंगुली में
अपनी
लगाता है
गर्व करता है
इतराता हुआ
फोटो भी
कई खिंचाता है
चीटिंयों की
कतार चल
रही होती है
एक तरफ को
भेड़ो
का रेहड़
अपने हिसाब से
पहाड़ पर
चढ़ना चाहता है
एक
खूबसूरत
ख्वाब
कुछ दिनों
के लिये ही सही
फिल्म की तरह
दिखाया जाता है
देवता लोग
नहीं बैठते हैं
मंदिर मस्जिद
गुरुद्वारे में
हर कोई
भक्तों से
मिलने
बाहर को
आ जाता है
भक्तों
की हो रही
होती है पूजा
न्यूनतम
साझा कार्यक्रम
के बारे में
किसी
को भी
कुछ नहीं
बताया जाता है
चार दिन
शादी ब्याह
के बजते
ढोल नगाड़ों
के साथ
कितना भी
थिरक लो
उसके बाद
दूल्हा
अकेले दुल्हन के
साथ जाता है
तुझे
क्या करना है
इन
सब बातों से
बेवकूफ ‘उलूक’
तेरे पास
कोई
काम धाम
तो है नहीं
मुँह उठाये
कुछ भी
लिखने को
चला आता है ।
आपकी लिखी रचना बुधवार 07 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आभार !
हटाएंउलूक टाईम्स पढ़ कर मजा आ जाता है, आपके लिखने का अंदाज निराला है...
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ अभिषेक ।
हटाएंबेहतर लेखन व सोलिड प्रस्तुति , सर धन्यवाद ! :-)
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार !
हटाएंबहुत खूब ... सभी को लपेटती हुयी चलती है रचना ...
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आप ने पढा ।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-05-2014) को "फ़ुर्सत में कहां हूं मैं" (चर्चा मंच-1605) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी आप हमेशा उत्साह बढाते हैं ।
हटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंआभार !
हटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंनिराले अंदाज में हकीकत को बयाँ करती निराली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ डा. महेंद्र जी ।
हटाएं