शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

आठ सौंवा पन्ना ‘उलूक’ का बालिकाओं को समर्पित आज उनके अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर



छोटे छोटे 
फूल 

रंग बिरंगे 

और 
कोमल 
भी 

बिखेरते हुऐ 

खुश्बू 
रंग 
और 
खुशियाँ 

चारों तरफ 

दिखता है 

हर
किसी को 

अपने
आस पास

एक
इंद्रधनुष 

पहुँचते
ही 

इस
दुनियाँ में 

किसे
अच्छा 
नहीं लगता 

कोमल 
अहसास 

अपने पास 

जिंदगी 
की
दौड़ 
शुरु होते 

बिना पैरों के 

‘ठुमुक
चलत 
राम चंद्र
बाजत 
पैजनियाँ’ 

फिर 

यही
अहसास 
बन जाते हैं 

सतरंगी धागे 

कलाई
के 
चारों ओर 

फिर 
एक और 

इंद्रधनुषी 
छटा 
बिखेरते हुऐ 

सृष्टि 
अधूरी होगी 

समझ में 
भी आता है 

अनजाने
से 
किसी पल में 

बचपन 
से
लेकर 
घर छोड़ते 

नमी के साथ 

और 

लौटते 

खुशी
के 
पलों में 

हमेशा 

बहुत 
जल्दी 

बढ़ी होती 
उँचाई के 
साथ

झिझक 
जरूरी नहीं रही 

बदलते 
समय के साथ 

मजबूत 
किया है 
इरादों को 

सिक्के
के 
दोनो पहलू 
भी
जरूरी हैं 

और 
उन दोनो 
का
बराबर 
चमकीला 

और 
मजबूत होना
भी 

आज 
का दिन 

रोज के 
दिन में 
बदले 

सभी दिन 
साल के
तुम्हारे 

यही
दुआ है 
अपने लिये 

क्योंकि 
खुद की
ही 

आने वाली 
पीढ़ियों
की 

सीढ़ियों का 

बहुत 
मजबूत होना 

बहुत 
जरूरी है । 

चित्र साभार: http://retroclipart.co

17 टिप्‍पणियां:

  1. बधाई ! ... यह प्रवाह यूँ ही रहे हर सन्दर्भ में

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  2. सुन्दर प्रस्ज्तुतीकरण ! सुकोमल भाव !!

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 12/10/2014 को "अनुवादित मन” चर्चा मंच:1764 पर.

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  4. सॉरी सर।
    वर्तनी गलत हो गयी थी।
    --
    800वें पन्ने की बधायी और शुभकामनाएँ।

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  5. Aapko 800 rachna post ki badhaayi ...yun hi aur rachnaayein judati rahe Ye karwaah aage aise hi badhta rahe .. Shubhkamnaayein :)

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  6. वाह भाई जी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ---- ८०० पोस्ट एक मायने रखती है आपकी रचनात्मकता वाकई दिल को छू गयी ---
    बहुत सुंदर ---
    आप हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं
    सादर ---

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  8. -बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति।

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  9. वाह! बहुत बढ़िया

    "...
    सभी दिन
    साल के
    तुम्हारे
    ..."

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  10. वाह लाजवाब सृजन ।
    बहुत बहुत बधाई ८००की इस कड़ी के लिए ।
    आगे का सफर अनवरत चलता रहे यही दुआ है।

    जवाब देंहटाएं
  11. यही
    दुआ है
    अपने लिये
    क्योंकि
    खुद की
    ही
    आने वाली
    पीढ़ियों
    की
    सीढ़ियों का
    बहुत
    मजबूत होना
    बहुत
    जरूरी
    वाह!!!
    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं