बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

तालाब में क्यों कूदा नदी में जा कर क्यों नहीं नहा आया

इस पर कुछ
लिख कर जब
उसको पढ़ाया

बत्तीस लाईन
पढ़ने में उसने
बस एक डेढ़
मिनट लगाया

थोड़ा
सिर हिलाया
थोड़ा इधर
थोड़ा उधर घुमाया

कुछ देर लगा
जैसे कुछ सोचा
फिर आँखों
को मींचा

दायें हाथ
की अंगुलियों से
अपने बायें कान
को भी खीँचा

ऐनक उतार कर
रुमाल से पोंछा
कंधे पर हाथ
रख कर कुछ
अपनी ओर खींचा

बहुत अपनेपन से
मुँह के पास
मुँह ले आया

फुसफुसा कर
हौले से बस
इतना ही पूछा

बरखुर्दार !
ये सब करना
तुमको किसने
सिखाया

कब से शुरु किया
और ये सब
करने का विचार
तुम्हें कैसे आया

अच्छा किया मैंने
जो मैं इधर को
जल्दी चला आया

बहुत से लोगों ने
बहुत सी चीजों में
बहुत कुछ कमाया

लिखना ही था
तूने ‘उलूक’
तो फिर मुझे
पहले क्यों नहीं
कुछ बताया

इस पर तो सबने
सब कुछ कब से
लिख लिखा दिया

उस पर कुछ
लिखने का तू
कभी क्यों नहीं
सोच पाया ।

चित्र साभार: http://www.clipartguide.com

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई जी गजब का लिखते हैं ---- बहुत खूब ----
    सादर--

    शरद का चाँद ---

    जवाब देंहटाएं
  2. कल 10/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  3. लेखन के प्रारम्भ में ऐसा ही होता है...स्टिक अभिव्यक्ति
    Rohitas Ghorela: सब थे उसकी मौत पर (ग़जल 2)

    जवाब देंहटाएं