शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

मर जाना किसे समझ में आता नहीं है

मर जाने
का मतलब
मरने मरने तक
कैसे समझ में
आ सकता है

मरने का
मतलब
कोई
बिना मरे
कैसे बता
सकता है

मर जाना
भी तो
कई तरह
का होता है

कोई
मरता भी है
और
उसे पता भी
नहीं होता है

सापेक्ष मरना
निरपेक्ष मरना
जिंदा मरना
मरा हुआ मरना

बहुत सारे भ्रम
हो ही जाते हैं
मरने मारने
पर आने
के मायने
वैसे भी अलग
हो ही जाते हैं

सच का मरना
झूठ का मरना
अलग अलग
बात हो जाती हैं

जिंदा मर जाना
मरा हुआ सा
नजर आना
अलग ही बात
हो जाती है

बे‌ईमान के लिये
एक ईमानदार
मर जाता है

ईमानदार मरे हुऐ
की लाश उठाता है

मरना भी अजीब है

मर जाने के बाद
कोई कैसे बताये
समझ में आता है
या नहीं आता है

सब मरते हैं
मरने से पहले भी

कभी
कहीं थोड़ा
कहीं
कभी ज्यादा

मरने
की बात
कोई भी
मरने वाला
किसी भी
जिंदा
आदमी को
मगर कभी भी
नहीं बताता  है । 

चित्र साभार: www.clker.com

14 टिप्‍पणियां:

  1. हमेशा की तरह अपने अंदाज़ में आपने गंभीर बात हल्का कर के कहा...अच्छा लगा।

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन निर्मलजीत सिंह सेखों और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. वाकई , ज़िन्दगी के कितने रंग और कितनी अलग समझ हर हाल के लिए | बढ़िया रचना |

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  4. आपकी लिखी रचना पांच लिंकों का आनन्द में रविवार 19 जुलाई 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-07-2015) को "कुछ नियमित लिंक और एक पोस्ट की समीक्षा" {चर्चा अंक - 2041} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. gambhir vishay ko halke se likha,sach hai jo mr-mrke jita hai wo bhi to nahi batata...

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  7. बहुत खूब .... सच लिखा है कई मरते हैं कई कई बार मरने से पहले पर उसका कारण भी पता नहीं चल पाता ... गहरी रचना है ...

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