शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

गुरु पूर्णिमा पर प्रणाम गुरुओं को भी घंटालों को भी

कहाँ हो गुरु
दिखाई नहीं
देते हो
आजकल

कहाँ रहते हो
क्या करते हो

कुछ पता
ही नहीं
चल पाता है

बस दिखता है
सामने से कुछ
होता हुआ जब

तब तुम्हारे और
तुम्हारे गुरुभक्त
चेलों के आस पास
होने का अहसास
बहुत ही जल्दी
और
बहुत आसानी
से हो जाता है

एक जमाना था गुरु
जब तुम्हारे लगाये
हुऐ पेड़ सामने से
लगे नजर आते थे

फल नहीं
होते थे कहीं
फूल भी नहीं

तुम किसी को
दिखाते थे
कहीं दूर
बहुत दूर
क्षितिज में

निकलते हुऐ
सूरज का आभास
उसके बिना
निकले हुऐ ही
हो जाता था

आज पता नहीं
समय तेज
चल रहा है
या
तुम्हारा शिष्य ही
कुछ धीमा
हो गया है

दिन ही होता है
और रात का
तारा निकल
बगल में
खड़ा हो कर
जैसे मुस्कुराता है
और
मुँह चिढ़ाता है

गुरु
क्या गुरु मंत्र दिये
तुमने उस समय

लगा था
जग जीत
ही लिया जायेगा

पर आज
जो सब
दिख रहा है
आस पास

उस सब में तो
गुरु से कुछ
भी ढेला भर
नहीं किया जायेगा

तुमने जो
भी सिखाया
जिस की
समझ में आया

उसकी पाँचों
अँगुलियाँ
घी में हैं
जो दिख रहा है

उसका सिर
भी कढ़ाही
में है या नहीं है
ये पता नहीं है

अपना सिर
पकड़ कर
बैठे हुऐ
एक शिष्य को
आगे उससे
कुछ भी नहीं
अब दिख रहा है

जो है सो है

गुरु
गुरु तुम भी रहे
कुछ को
गुरु बनने
तक पहुँचा ही गये

लेकिन लगता है
दिन गुरुओं के
लद गये गुरु

गुरु घंटालों के
बहुत जोर शोर के
साथ जरूर आ गये

जय तो होनी
ही चाहिये गुरु
गुरु की

गुरु गुरु
ही होता है

पर गुरु
अब बिना
घंटाल बने
गुरु से भी
कुछ
नहीं होता है ।

चित्र साभार: blogs.articulate.com


6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब...आजकल गुरु कम, गुरु घंटाल ज्यादा नज़र आते हैं...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-08-2015) को "आशाएँ विश्वास जगाती" {चर्चा अंक-2055} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, एक के बदले दो - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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