मंगलवार, 4 अगस्त 2015

चोर है बस चोर है चारों ओर चोर है और चोर है

जमाना चोरों का है
कुछ इधर चोर
कुछ उधर चोर
लड़ाई है
होती है
दिखती भी है
हो रही है
चोरों की लड़ाई
चोरों के बीच
तू भी चोर
और मैं भी चोर
इधर भी चोर
उधर भी चोर
कुर्सी में बैठा
एक बड़ा चोर
घिरा हुआ
चारों ओर से
सारे के सारे चोर
तू भी चोर
और मैं भी चोर
घर घर में चोर
बाजार में चोर
स्कूल में चोर
अखबार के सारे
समाचार में चोर
चोर चोर
चारों ओर चोर
हड़ताल करते
हुऐ चोर
कुछ छोटे से चोर
बताते हुऐ चोर
मनाते हुऐ चोर
कुछ बड़े बड़े चोर
अंदाज कैसे आये
किसलिये खड़ा है
एक बड़े चोर के
सामने एक
छोटा सा चोर
सच बस यही है
चोर है चोर है
चोर के सामने
है एक चोर
एक दूसरा चोर
चोर चोर सारे
के सारे चोर
तू भी चोर
मैं भी चोर
कोई छोटा चोर

कोई बड़ा चोर । 


चित्र साभार: www.clipartsheep.com

12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    चोर चोर
    पकड़ भाई सुशील चोर
    और...
    चोरों ने
    भाई सुशील
    को ही...
    पकड़ लिया
    सादर...
    सच में भाई
    सुबह-सुबह
    आपकी रचना पढ़कर
    रात की
    सारी थकान
    धुल जाती है

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 06 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6-8-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2059 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  4. आई थी लिंक चोरी करने लेकिन ख़ुशी पहले ही छापा पड चुका है ..... चूक गई मैं

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  5. वाह क्या बात है, जिस तरफ देखिये चोर ही चोर आते नज़र

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  6. सच में आज कौन चोर नहीं है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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