शनिवार, 4 नवंबर 2017

बातों से खुद सुलगी होती हैं बातें कहाँ किसी ने जलाई होती हैं


ठीक बात
नहीं होती है

कह देना
अपनी बात
किसी से भी

कुछ बातें
कह देने की
नहीं होती हैं
छुपायी जाती हैं

बात के
निकलने
और
दूर तक
चले जाने
की बात पर
बहुत सी
बातें कही
और
सुनी जाती हैं
सुनाई जाती हैं

कुछ लोग
अपनी बातें
करना
छोड़ कर

बातों बातों
में ही
बहुत सारी
बात
कर लेते हैं

बातों बातों में
किसी की बातें
बाहर
निकलवाकर

उसी से
कर लेने
की निपुणता
यूँ ही हर
किसी को
नहीं आयी
होती है

एक
दो चार दिन के
खेल खेल में
सीख लेना
नहीं होता है
बातों को
लपेट लेना
सामने वालों की


उसकी
अलग से
कई साल 

सालों साल

बातों बातों में
बातों के स्कूलों में
पढ़ाई लिखाई होती है

‘उलूक’
नतमस्तक
होता है
बातों के ऐसे
शहनशाहों के
चरणों में
ठंड रख कर
खुद हिमालयी 

बर्फ की 

हमेशा अपनी
बातों में जिसने
दूसरे की
दिल की
बातों की
नरम आग
सुलगा
सुलगा कर
पानी में
भी आग
लगाई
होती है ।


चित्र साभार: ClipartFest

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