गुरुवार, 28 मार्च 2019

जो पगला नहीं पा रहे हैं उनकी जिन्दगी सच में हराम हो गयी है


मरते मरते उसने कहा "हे राम"
उसके बाद भीड़ ने कहा "राम नाम सत्य है"
कितनों ने सुना कितनों ने देखा

देखा सुना कहा बताया बहुत पुरानी बात हो गयी है
जमाना कहाँ से कहाँ पहुँच गया है सत्य अब राम ही नहीं रह गया है

जो समझ लिया है उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में घुस गयी हैं
और सर कहीं डालने के लिये कढ़ाईयों की इफरात हो गयी है
वेदना संवेदना शब्दों में उकेर देने की दुकाने गली गली आम हो गयी हैं

एक दिन की एक्स्पायरी का लिखा लिखाया
उठा कर ले जा कर अपनी दीवार पर टाँक लेने वाली दुकाने
हनुमान जी के झंडे में लिखा हुआ जय श्री राम हो गयी हैं

मंदिर राम का रंग हनुमान का
स्कूलों की किताबों के जिल्द में गुलफाम हो गयी हैं

शिक्षक की इज्जत
उतार कर उसके हाथ में थमाने वाले छात्रों की पूजा
राम की पूजा के समान हो गयी है

मंत्री के साथ पीट लेना थानेदार को 
खबर बेकार की एक पता नहीं क्यों सरेआम हो गयी है

छात्रों का कालिख लगाना एक मास्टर के
और चुप रहना मास्टरों की जमात का
मास्टरों की सोच का पोस्टर बन बेलगाम हो गयी है

जरूरी है इसीलिये लिख देना रोज का रोज ‘उलूक’
जनता एक पागल के पीछे पगला गयी है
जो पगला नहीं पा रहे हैं उनकी जिन्दगी सच में हराम हो गयी है ।

चित्र साभार: web.colby.edu

9 टिप्‍पणियां:

  1. आइए, पागल हो लें....
    पागलों में अद्भुत आकर्षण शक्ति होती है। भीड़ में सौ सामान्य हों और कहीं से एक पागल आ जाए तो सब उसी को देखते हैं। पागल होना जरूरी है।
    सर,आपकी हर पोस्ट मुझे बेहद पसंद है। सादर।

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  2. शुभ प्रभात..
    सच में
    हराम हो गयी है..
    ज़िन्दगी उनकी
    सादर नमन...

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  3. कड़वा सच लिखने में सिद्धहस्त हैं आप । सदा की तरह बेहतरीन और सुन्दर ।

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  4. अब तो बात फैल गयी, जाने सब कोई,
    संयत औ सभ्य को अलॉट हुई, कुर्सी न कोई
    चोरन, बटमारन और झूठन को पुरस्कार,
    सच्चे, बलिदानी को, पूछता न कोई.

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  5. जी नमस्ते

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-03-2019) को "दिल तो है मतवाला गिरगिट" (चर्चा अंक-3290) पर भी होगी।

    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है



    अनीता सैनी

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  6. पागलपन भी बेहद ज़रूरी है बस ध्यान इतना रखना है की किस बात पर पग्लाना है
    अद्भुत रचना आदरणीय सर सादर नमन शुभ रात्रि

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  7. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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