शनिवार, 12 सितंबर 2020

कूड़े पर तेरा लिखना हमेशा कूड़ा कूड़ा जैसा ही तो होना है





कितना भी लिखें कुछ भी लिखें
कल परसों भी यही सब तो होना है 

नये होने की आस बस जिंदा रखनी है
 पुराना हुआ रहेगा भी
उस की खबर को अब कब्र में ही तो किसी सोना है 

वो करेगा कुछ नहीं
करे कराये पर कुछ ना कुछ उल्टा सीधा ही तो उसे कहना है 

देखने के लिये
तैयार तो किये जा रहे हैं मैदाने जंग शहर शहर
वहां जंग छोड़ कर
और कुछ अजीब सा ही तो होना है 

आदत डालनी ही पड़ेगी
डर के साथ जीने की
पढ़ाना तो किसी पुराने वीर की कहानी ही है
अभी के समय का तो बस रोना है

समझ में तब आये किसी के
जब कोई समझना चाहे
खुद ही मौज में दिखते है सारे जवान आज
कंधे अपने दे कर किसी कोढ़ी को तारने की बन के सीढ़ी
चढ़ कर ऊपर
मारनी है लात सबसे पहले सीढ़ी को गिराने के लिये उसने भी
एक बार नहीं
बेवकूफों के साथ हर बार तो यही होना है

दिखता है सामने से
होता हुआ भ्रष्टाचार बड़े पैमाने का
सुनना कौन चाहता है
मुखौटा ओढ़ा हुआ देशभक्त देशप्रेमी के करे धरे का

किसी के पास कहाँ समय है
कहाँ किसे इस सब के लिये सोचना है
रोने के लिये रखा है सामने से कोरोना है

‘उलूक’
तेरी बुद्धि तेरा सोचना तेरा नजरिया
बदलना तो नहीं है
तेरे लिये कूड़े पर तेरा लिखना
हमेशा
कूड़ा कूड़ा जैसा ही तो होना है।

चित्र साभार: http://www.clker.com/
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Alexa Traffic Rank World: 120598 इंडिया: 11696 12/09/2020 08:15 पी एम 
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28 टिप्‍पणियां:

  1. तेरी बुद्धि
    तेरा सोचना
    तेरा नजरिया
    बदलना तो नहीं है
    सादर नमन..

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  2. समझ में तब आये किसी के
    जब कोई समझना चाहे
    खुद ही मौज में दिखते है सारे जवान आज
    कंधे अपने दे कर किसी कोढ़ी को तारने की बन के सीढ़ी
    चढ़ कर ऊपर

    लाजवाब रचना जोशी सर

    जवाब देंहटाएं
  3. दिखता है सामने से
    होता हुआ भ्रष्टाचार बड़े पैमाने का
    सुनना कौन चाहता है
    मुखौटा ओढ़ा हुआ देशभक्त देशप्रेमी के करे धरे का
    बहुत सटीक, सार्थक...
    लाजवाब सृजन।

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  4. कमाल की सच बयानी है
    बेहतरीन सृजन

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  5. "वो करेगा कुछ नहीं
    करे कराये पर कुछ ना कुछ उल्टा सीधा ही तो उसे कहना है"

    वाह! बेहतरीन व्यंग्य लिखा है आपने। बिल्कुल सीधी भाषा में बतायी गयी बातें।
    और ये भी सत्य है-

    "दिखता है सामने से
    होता हुआ भ्रष्टाचार बड़े पैमाने का
    सुनना कौन चाहता है
    मुखौटा ओढ़ा हुआ देशभक्त देशप्रेमी के करे धरे का"

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  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 13 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. कल हिन्दी दिवस है
    ख्याल रखिएगा
    सब कुछ हिन्दी में ही होना चाहिए
    खाना-पीना
    रोना-गाना
    दुलारना-लतियाना
    सब हिन्दी ही मे हो
    सादर नमन

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  8. आदत डालनी ही पड़ेगी
    डर के साथ जीने की
    पढ़ाना तो किसी पुराने वीर की कहानी ही है
    अभी के समय का तो बस रोना है. हिंदी दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं. नमन सह।

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  9. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (14 सितंबर 2020) को '14 सितंबर यानी हिंदी-दिवस' (चर्चा अंक 3824) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव


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  10. समझ में तब आये किसी के
    जब कोई समझना चाहे
    खुद ही मौज में दिखते है सारे जवान आज
    कंधे अपने दे कर किसी कोढ़ी को तारने की बन के सीढ़ी
    चढ़ कर ऊपर
    मारनी है लात सबसे पहले सीढ़ी को गिराने के लिये उसने भी
    एक बार नहीं
    बेवकूफों के साथ हर बार तो यही होना है

    बढिया व्यंग्य सर .....

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  11. समझ में तब आये किसी के
    जब कोई समझना चाहे
    खुद ही मौज में दिखते है सारे जवान आज
    कंधे अपने दे कर किसी कोढ़ी को तारने की बन के सीढ़ी
    चढ़ कर ऊपर
    मारनी है लात सबसे पहले सीढ़ी को गिराने के लिये उसने भी
    एक बार नहीं
    बेवकूफों के साथ हर बार तो यही होना है ,,,,,,।,।।बहुत सही बात है लिखी है आपने, बहुत ख़ूब,

    जवाब देंहटाएं
  12. शब्द-शब्द तीखे कटाक्ष से भरा... यथार्थ को बड़ी बारीकी से उकेरा है आपने... साधुवाद 🙏🌺🙏

    हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं

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  13. कृपया मेरी इस लिंक पर पधार कर मुझे अनुगृहीत करें...

    http://ghazalyatra.blogspot.com/2020/09/2020.html?m=1

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  14. बहुत सुन्दर।
    हिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।

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  15. सबका अपना-अपना नजरिया है समझने का जो कोशिश करें समझने के वह समझे जो नहीं उसके लिए सब कूड़ा करकट ही समझो
    बहुत खूब!

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  16. आदत डालनी ही पड़ेगी
    डर के साथ जीने की
    पढ़ाना तो किसी पुराने वीर की कहानी ही है
    अभी के समय का तो बस रोना है

    बहुत सुंदर और सटीक सृजन आदरणीय।

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  17. करोना इस इस रोने में सब कुछ करोना मतलब कूड़ा होना है ...
    हर लिखा एक ण एक दिन कूड़ा होना है ...

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  18. बहुत सुन्दर और सटीक लेखन सर . हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई .

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  20. शब्द-बाण भेदती हुई .. बहुत बढिया ।

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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