शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

तेरा लिखा जरा सा भी समझ में नहीं आता है कह लेने में क्या जाता है?

 

शिकायत है कि समझ में नहीं आता है

‘उलूक’ पता नहीं क्या लिखता है क्या फैलाता है 

प्रश्न है
किसलिये पढ़ा जाता है वो सब कुछ
जो समझ में नहीं आता है 

समझ में नहीं आने तक
भी ठीक है
नहीं आता है नहीं आता है
पता नहीं फिर
कोई इतना कोई क्यों गाता है 

पढ़ने की आदत अच्छी है
कुछ अच्छा पढ़ने के लिये
किसलिये नहीं जाता है
समझ में अच्छा लिखा
बहुत ही जल्दी चला जाता है 

घर से
मतलब रखता है
गली में हो रहे शोर से ध्यान हटाता है
शहर में बहुत कुछ होता है
अखबार में उसमें से थोड़ा तो आता है 

अखबार दो रुपिये का
अब कौन खरीदता है
बात बस
खबर और समाचार के बीच की
समझाता है बताता है 
समस्या और समाधान
बेकार की बातें हैं
व्यवधान
इसी से होता चला जाता है 

पैसा बहुत जरूरी है

हर महीने की
पहली तारीख को
आ गयी है
का
एस एम एस चला आता है 

किसलिये देखना
क्या होता है अपने आसपास
अपनी ही गली में पास की ही सही
रात में भी बहुत सारे
भौंकते चले जाते हैं कुत्ते गली के
कौन अपनी नींद
खराब करना चाहता है

‘उलूक’ तेरी तरह के बेवकूफ
नहीं हैं हर जगह
कूड़े कचरे पर लिखना
कौन सा गजब हो जाता है 

हम ना देखेंगे
ना देखने देंगे किसी को
अपनी आँख से कुछ भी आसपास अपने

तेरा लिखा
जरा सा भी समझ में नहीं आता है
कह लेने में
क्या जाता है?

चित्र साभार:
 http://search.coolclips.com/m/vector/cart1864/business/avoiding-getting-hit/

22 टिप्‍पणियां:

  1. उलूक का लिखा अगर कभी हमारे समझ में नहीं आता तो उसे हम अपनी समझ के हिसाब से समझ लेते हैं. अब इस में कुछ उंच-नीच हो जाए तो चलता है.
    अखबार पर हम जो भी खर्च करते हैं, उसका आधे से ज़्यादा तो उसकी रद्दी बेच कर मिल जाता है. हम लेखकों का लिखा हुआ अक्सर रद्दी के भाव ही बिकता है.

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  2. समझ में नहीं आने तक भी ठीक है
    नहीं आता है नहीं आता है
    पता नहीं फिर कोई इतना कोई क्यों गाता है क्योंकि
    बकवास करना भी कभी एक नशा हो जाता है।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 5 दिसंबर 2020 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! ,

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  4. जरूरी नहीं कि कुछ समझ आए ही आए फिर भी लिखने में क्या जाता है :)

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  5. बहुत बहुत सुन्दर और एक तरह बहुत सार्थक व सटीक भी

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (06-12-2020) को   "उलूक बेवकूफ नहीं है"   (चर्चा अंक- 3907)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  7. पढ़ने की आदत अच्छी है
    कुछ अच्छा पढ़ने के लिये
    किसलिये नहीं जाता है
    समझ में अच्छा लिखा
    बहुत ही जल्दी चला जाता है, हमेशा की तरह तीक्ष्ण परावर्तन, जो सत्य को उजागर करती है, एक स्पष्टवादिता जो परत दर परत खुलती जाती है - - नमन सह।

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  8. समझ में न आये तो ही समझना चाहिए कि जरूर बात गहरी है !

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  9. हम ना देखेंगे
    ना देखने देंगे किसी को
    अपनी आँख से कुछ भी आसपास अपने
    ...बहुत ख़ूब सर..।हम जैसों को तो गहरे जाना पड़ रहा है..।दो दो बार समझना पड़ा..।गूढ़ अभिव्यक्ति..।

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  10. समझ में आता है सर। बहुत कुछ कह दिया। बधाई। सादर।

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  11. अपनी समझ लगाओ तो फिर समझ में आए,औरों का बताया तो ऊपर से निकल जाए .

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  12. समझ में नहीं आने तक
    भी ठीक है
    नहीं आता है नहीं आता है
    पता नहीं फिर
    कोई इतना कोई क्यों गाता है

    पढ़ने की आदत अच्छी है
    कुछ अच्छा पढ़ने के लिये
    किसलिये नहीं जाता है
    समझ में अच्छा लिखा
    बहुत ही जल्दी चला जाता है

    पर सच अच्छा हो तब न....
    ऐसा कटु सत्य अच्छा कैसे लगेगा
    भ्रम में रहने वालों को सत्य और सत्य पर लिखा कहाँ समझ आयेगा....
    लाजवाब सृजन
    वाह!!!!

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  14. समझ आए न आए ... पढ़ा जाये न जाये ... किसी का क्या जाता है ... एक दस्तावेज़ तो बनता जाता है .... बस सत्य यही है बाकी रद्दी है ... बहुत खूब लिखा है ...

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  16. सुंदर और प्रभावी रचना है ,सादर!💐

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