रविवार, 31 अक्तूबर 2021

करत करत अभ्यास जड़मति होत सुजान यूँ ही नहीं कहा गया है सरकार

 



मन होता ही है
कुछ लिखा जाये कभी
जैसा लेखक साहित्यकार बुद्धिजीवी विद्वान लिख ले जाते हैं
कतार दर कतार

नकल करने के चक्कर में लेकिन
निकल जाती है हवा कलम की
उड़ जाता है कागज
रह जाते हैं शब्दों के ऊपर चढ़े शब्द
एक के ऊपर कई कई हजार

शब्दकोष कर रहा हो जैसे उदघोष
मूँगफली बेचने वाले की आवाज की नकल
और एक के साथ ले लो
दो नहीं जितने चाहो मुफ्त में शब्द
खरीदने बेचने के लिये नहीं
बिखेरने के लिये इधर भी और उधर भी
दे रही है छूट जैसे बिजली पानी और मिट्टी के तेल के लिये
सबसे मजबूत सदी की एक सरकार

गिरगिट आते हैं याद और याद आते हैं रंग साथ में
कला और कलाकारी है वो भी तो बहुत गहरी
समझाते ही हैं प्रहरी समाज के
खबरों में चरचाओं में
जब भी होती है बहस हर बार

‘उलूक’ लगा रह घसीटने में शब्दों को अपनी सोच के तार पर बेतार
कभी तो लगेगी लाटरी तेरी भी
मान लिया जायेगा बकवास को लेखन और तुझे लेखक
मिलेंगी टिप्पणियाँ भी
लेखकों की साहित्यकारों की
बुद्धिजीवियों की भी और विद्वानो की भी हर बार।

चित्र साभार: https://learnodo-newtonic.com/

13 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -11-2021 ) को 'कभी तो लगेगी लाटरी तेरी भी' ( चर्चा अंक 4234 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. मन होता ही है
    कुछ लिखा जाये कभी
    जैसा लेखक साहित्यकार बुद्धिजीवी विद्वान लिख ले जाते हैं
    कतार दर कतार,,,, बहुत शानदार,

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह वाह.... क्या कहने....
    व्यंग्य में भी हकीकत के दर्शन हो रहे हैं!

    जवाब देंहटाएं
  4. हमेशा की तरह शानदार उलूक दर्शन सुशील जी। नकल करते-करते बहुत अक्लमंद अस्तित्व में आए इतिहास साक्षी है। शुरुआत तो नकल से की थी पर बाद में शब्दों के धुरंधर हो गए। लगन हो तो क्या नहीं हो सकता!!

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  5. दीप पर्व पर आप को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। ज्योति पर्व आपके लिए शुभता और खुशियां लेकर सीसीआए यही कामना करती हूं 🙏🙏🌷💐💐🌷

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  6. आपके लेखन को बकवास कहना वाणी का अनादर है
    मैं पाठक निःशब्द रह जाती हूँ

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  7. हमेशा की तरह शानदार उलूक दर्शन सुशील जी। नकल करते-करते बहुत अक्लमंद अस्तित्व में आए इतिहास साक्षी है। शुरुआत तो नकल से की थी पर बाद में शब्दों के धुरंधर हो गए। लगन हो तो क्या नहीं हो सकता!!
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    Thank you


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  8. हमेशा की तरह शानदार उलूक दर्शन सुशील जी। नकल करते-करते बहुत अक्लमंद अस्तित्व में आए इतिहास साक्षी है। शुरुआत तो नकल से की थी पर बाद में शब्दों के धुरंधर हो गए। लगन हो तो क्या नहीं हो सकता!!
    Ayur Mart !
    Thanks.

    जवाब देंहटाएं
  9. हमेशा की तरह शानदार उलूक दर्शन सुशील जी। नकल करते-करते बहुत अक्लमंद अस्तित्व में आए इतिहास साक्षी है। शुरुआत तो नकल से की थी पर बाद में शब्दों के धुरंधर हो गए। लगन हो तो क्या नहीं हो सकता!!
    Ayur Mart !
    Thanks .....

    जवाब देंहटाएं