शनिवार, 29 अप्रैल 2023

भीड़ से निकल बस्ती नहीं शहर लिख दे



एक लहर उठती है उठे
कहर लिख दे
एक लहर बैठती है बैठे
ठहर 
लिख दे

भीड़ से निकल
बस्ती नहीं शहर लिख दे
कोशिश कर
कुछ मीठा सा जहर लिख दे

नशे में रह
मत निकल बाहर
बहर लिख दे
रेत के टीले कहीं मैदान कहीं
लहर लिख दे

मांग कुछ
थोड़ा सा कोशिश कर
महर लिख दे
सूखे खेत के बीच
जा बड़ी सी एक 
नहर लिख दे

कुछ तो लिख
रोज नहीं कभी
एक 
पहर लिख दे
किस को पड़ी है
‘उलूक’ गर
गहर लिख दे |

चित्र साभार: http://clipart-library.com/poison-cliparts.html

महर = वह धनराशि है जो विवाह के समय वर या वर का पिता, कन्या को देता है।

कहर= गुस्सा, क्रोध।

बहर= आकाश, आस्मान।

गहर= पृथ्वी-तल में पाया जानेवाला कोई ऐसा गहरा गड्ढा, जो प्राकृतिक कारणों से बना हो

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर । वाह ! क्या बात है ।

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  2. दिल में आती
    उफानों पर
    एक ठहराव लिख दे
    और आपकी लेखनी पर
    दिन दूनी रात चौगुनी
    तरक्की लिख दे..

    लाजवाब..

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 01 मई 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. कुछ तो लिख
    रोज नहीं कभी
    एक पहर लिख दे

    -रोज लिखिए
    लेखनी छंद पर सरपट दौड़ रही है
    बधाई उम्दा रचना

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  5. मांग कुछ
    थोड़ा सा कोशिश कर
    महर लिख दे
    सूखे खेत के बीच
    जा बड़ी सी एक नहर लिख दे...
    ..बहुत बढ़िया ...

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