उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 4 नवंबर 2014

आदमी आदमी का हो सके या ना हो सके एक गधा गधे का नजदीकी जरूर हो जाता है

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“अंशुमाली रस्तोगी जी” का आज  दैनिक हिन्दुस्तान  में छपा लेख  “इतना सधा हूँ कि सचमुच गधा हूँ”  पढ़ने के बाद ।  अकेले नहीं हो...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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