उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

इतनी जल्दी भी क्या है सब्र कर खुदा बने हुऐ ही उसे हुऐ कुछ महीने चंद हैं

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शब्दों के जोड़ जन्तर जुगाड़ हैं कुछ के कुछ भी कह लेने के तरीके बुलन्द हैं  सच के झूठ के फटे में किसने देखना होता है लगे हुऐ कई रंगीन प...
16 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017

ये मिर्च बड़ी है मिर्च मिर्च ये मिर्च बड़ी है मिर्च

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शुरुआत में आओ मिर्च के कारोबार को अपनायें आओ मिर्ची सोचें मिर्ची सोचवायें  आओ मिर्ची लगायें मिर्ची लगवायें आओ मिर्ची बोयें मिर्ची उगायें ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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