उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013

राम तुलसी को कोस रहा होता अगर वो सब तब नहीं आज हो रहा होता

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हुआ तो  बहुत कुछ है  एक मोटी  किताब में  सब कुछ  लिखा गया है कुछ समझ में  आ जाता है जो नहीं आता है सब समझ चुके  विद्वानो से पूछ  लिया जाता ह...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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