उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 6 अगस्त 2016

श्श्श्श शोर नहीं मास्साब हैं आँख कान मुँह नाक बंद करके शिष्यों को इंद्रियाँ पढ़ा रहे हैं

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दृश्य एक: बड़े बड़े हैं  बहुत बड़े हैं  बड़प्पन  दिखा रहे हैं  आँख मूँदे  बैठे हैं  कान में  सरसों का  गुनगुना तेल  डलवाकर  भजन...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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