उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 7 सितंबर 2019

सब का अलग व्यवहार है पर कोई बहुत समझदार है रेत में लिखने के फायदे समझाता है

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भाटे के  इन्तजार में कई पहर शांत बैठ जाता है पानी उतरता है तुरन्त रेत पर सब कुछ बहुत साफ लिख ले जाता है फिर ज्वार को उकसाने के लिये चाँ...
5 टिप्‍पणियां:
रविवार, 4 सितंबर 2016

समय को मत समझाया कर किसी को एकदम उसी समय

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ये तय है जो भी करेगा कोशिश लिखने की समय को समय पर देखते सुनते समय के साथ चलते हुए समय से ही मात खायेगा लिखते ही हैं लिखने वाले समझाने के ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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