उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 3 अक्टूबर 2016

कर कुछ उतारने की कोशिश तू भी कभी 'उलूक'

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कोशिश कर तो सही उतारने की सब कुछ कभी फिर दौड़ने की भी उसके बाद दिन की रोशनी में ही बिना झिझक जो सब कर रहे हैं क्यों नहीं हो पा रहा है त...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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