उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 28 अगस्त 2019

दिखाता नहीं है शक्ल के शीशे में कुछ मगर आईना आँखों का चमक रहा होता है

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जो लिखना होता है उसी को छोड़ कर कुछ कुछ लिख रहा होता है  नहीं लिखा सारा लिखे लिखाये के पीछे खड़ा छुपा दिख रहा होता है  ना सामान हो...
8 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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