उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 13 अक्टूबर 2014

कोई नहीं कोई गम नहीं तू भी यहीं और मैं भी यहीं

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साल के दसवें महीने का तेरहवाँ दिन तेरहवीं नहीं हो रही है कहीं हर चीज चमगादड़ नहीं होती है और उल्टी लटकती हुई भी नहीं कभी सीधा भी देख सोच ल...
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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

जैसा करेगा वैसा भरेगा, जब नहीं रहेगा तब क्या करेगा?

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क्यों अपने लिये ओखली खुद ही बनाता है अपना सिर फिर उसके अंदर डाल के आता है सारे फिट लोगों के बीच अपने को मिसफिट जानते बूझते क्यों बनाता है ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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