उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 23 जनवरी 2014

पता होता है फूटता है फिर भी जानबूझ कर हवा भरता है

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पानी में बनते  रहते हैं बुलबुले कब बनते हैं  कब उठते हैं  और कब  फूट जाते हैं कोशिश करना  भी चाहता है  कोई छाँटना  एक बुलबुला  अपने लिये मुश...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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