उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

कोई नया नहीं है बहुत पुराना है फिर से आ रहा है वही दिन

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अब दिन तो   आते ही हैं   किसी दिन   किसी का दिन   किसी दिन   किसी का दिन   एक दिन   उसका दिन   एक दिन   इसका दिन   एक दिन ...
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मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

बुजुर्गों के लिये दिन चलो एक दिन ही सही !

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फिर याद आया बनाया हुआ आदमी के खुद का एक दिन खुद के लिये ही जब शुरु होता है उसका भूलना सब कुछ यहाँ तक खुद को भी उम्र का चौथा पड़ाव और उसके अ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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