उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 9 दिसंबर 2017

अचानक से सूरज रात को निकल लेता है फिर चाँद का सुबह सवेरे से आना जाना शुरु हो जाता है

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जब भी कभी सैलाब आता है  लिखना भी  चाहो अगर कुछ नहीं लिखा जाता है  लहरों के ऊपर  से उठती हैं लहरें  सूखी हुई सी कई बस सो...
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शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

सुबह एक सपना दिखा उठा तो अखबार में मिला

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कठपुतली वाला कभी आता था मेरे आँगन में धोती तान दी जाती थी एक मोहल्ले के बच्चे इक्ट्ठा हो जाते थे ताली बजाने के लिये भी तो कुछ हाथ ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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