उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 31 मार्च 2022

फाईल होना ही बहुत है कभी खाली खोलने ही क्यों नहीं चले आते

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  बन्द दिमाग की झिर्री से दिखी थोड़ी सी रोशनी किसलिये घबराते महीने बन्द फाईल-ए-उलूक फिर पड़ी भी अगर खोदनी सबको जा जा कर बताते कतरा कतरा कतरा ...
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बुधवार, 18 जुलाई 2012

उस समय और इस समय और दिल

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पहलू और उसपर दिल का होना पता चल जाता है जिस दिन से शुरू हो जाती है कसमसाहट हमारे पुराने जमाने में भी कोई नया जो क्या होता था ऎसा ही होता था...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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