उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 20 जून 2015

बता भी दे करेगा या नहीं अखबार में नहीं छापा जायेगा

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सब करने वाले हैं क्या तेरा भी करने का इरादा है बहुत काम की चीज होती है करने में फायदा ही फायदा है नहीं करेगा नुकसान में रहेगा पता चल गया उसे...
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रविवार, 8 फ़रवरी 2015

कह दे कुछ भी कभी भी कहीं भी कुछ नहीं होता है

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कुछ कहने के लिये कुछ करना जरूरी नहीं होता है कभी भी कुछ भी कहीं भी कह लेना एक मजबूरी होता है करने और कहने या कहने और करने में बस थोड़ा सा ...
7 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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