उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

सुबह का अखबार पकाये हुऐ ताजे समाचार और प्रिय कागा तेरी सुरीली आवाज एक जैसी आदतों में शामिल आदतें

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काँव काँव कर्कश होती है कभी कह भी दिया होता है किसी ने तो ऐसा भी तो नहीं होता है कि मुँडेर पर आना ही छोड़ दो निर्मोही मोह होता ही है भंग ह...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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