उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

खड़ा था खड़ा ही रह पड़ा

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पत्रकार मित्र ने पढ़ा जब लिखा हुआ अखबार में छपा बड़ा बड़ा समीक्षा करते हुऐ कहा जैसा सभी कह देते हैं अच्छा बहुत अच्छा है लिखा और एक बुद्धिजीवी...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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