उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 5 जून 2014

कभी कुछ इस तरह भी कर लिया जाये

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अब रोने चिल्लाने पर कैसे गीत या गजल लिखी जाये बस यूँ ही ऐसे ही क्यों ना कुछ रो लिया जाये चिल्ला लिया जाये वैसे भी कौन पढ़ या गा रहा है रोने ...
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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

खिचड़ी

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लोहे की एक पतली सी कढ़ाही आज सीढ़ियों में मैंंने पायी कुछ चावल के कुछ माँस की दाल के दाने अगरबत्ती एक बुझी हुवी साथ में एक डब्बा माचिस मिट्...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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