उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 15 जुलाई 2013

अब तुम भी पूछोगी क्या?

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क्यों पूछती हो एक ही बात  बार बार ये किस पर  लिखा है क्या कुछ  लिखा है मैने कभी  क्या तुमसे  कहा है मैं लिख  रहा हूँ  तुमको पढ़  भी लेना है ...
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शनिवार, 26 जनवरी 2013

डाक्टर नहीं कहता कबाड़ी का लिखा पढ़ने की कोशिश कर

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आसानी से अपने आस पास की मकड़ी हो जाना या फिर एक केंचुआ मक्खी या मधुमक्खी पर आदमी हो जाना सबसे बड़ा अचम्भा उसपर जब चाहो मकड़ी कछुऎ बिल्ली कुत्...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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