उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 14 मई 2019

ना शेर है ना समझ है समझने की शेर को बस खुराफाती ‘उलूक’ की एक खुराफात है दिखाने की कोशिश उतार कर मुखौटा बेशरम हो चुके एक नबाब का

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अच्छा है सबसे खुद से बात कर खुद को समझाना मतलब कही गयी अपनी ही बात का सारे अबदुल्ला नाच रहे हों जहाँ दीवाने हो कर बेगानी शादियों में मौका...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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