उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 9 अगस्त 2015

समझ में आता है कभी शुतुरमुर्ग क्यों रेत में गरदन घुसाता है

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कुछ खूबसूरत सा नहीं लिख पाता है कोशिश भी करता है नहीं लिखा जाता है किसने कह दिया मायूस होने के लिये कभी निकल के देख अपनी बदसूरत सोच के दा...
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सोमवार, 19 मई 2014

सब कुछ लिख लेने का कलेजा सब के हिस्से में नहीं आ सकता है

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सब कुछ साफ साफ लिख देने के लिये किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है सब कुछ वैसे भी लिखा भी नहीं जा सकता है इतना तो एक अनपढ़ की समझ में तक आ स...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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