उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 27 दिसंबर 2017

अच्छा हुआ गालिब उस जमाने में हुआ और कोई गालिब हुआ

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‘उलूक’ की 2017 की सौवीं बकवास गालिब के नाम : दो सौ के ऊपर से और बीस बीत गये साल कोई दूसरा नहीं गालिब हुआ अब तो समझा भी दे गालिब गालिब हुआ भी...
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बुधवार, 11 दिसंबर 2013

क्या करे कोई गालिब खयाल वो नहीं हैं अब

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होते होंगे कुछ कहीं इस तरह के खयाल तेरे पास जरूर गालिब दिल बहल जाता होगा बहुत ही आसानी से उन दिनो तेरे जमाने में अब ना वो दिल कहीं नजर आता ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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