उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

गुल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गुल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 20 जनवरी 2014

अच्छा होता है कभी कभी बिजली का लम्बा गुल हो जाना

›
अपनी इच्छा से नहीं कर लेना  चाहता है बिजली गुल कोई कभी  बहुत देर के लिये पर बिजली  आदमी तो  नहीं होती है फिर भी  हो जाती है  बंद भी  कभी कभी...
9 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 5 जनवरी 2012

चिढ़

›
लगती है चिढ़ हो जाती है चिढ़ हंसी में भी साफ साफ नजर आती जाती दिख जाती है चिढ़ बहुत सारे गुल खिलाती है चिढ़ कोई क्या करे लग रही है समझ में भी आ...
2 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
मेरी फ़ोटो
सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.