उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 21 मार्च 2012

गौरेया का दिन

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बहुत कम जगह सुना है अब वो  पायी जाती हैं लेकिन गौरेया  बिना नागा सुबह यहाँ  जरूर आती हैंं खेत की झाड़ियों  में हो कर इकट्ठा  हल्ला मचाती...
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बुधवार, 7 दिसंबर 2011

गौरैया

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गौरैया रोज की  तरह आज  सुबह चावल के चार दाने खा के उड़ गयी गौरैया रोज आती है एक मुट्टी चावल से बस चार दाने ही उठाती है प...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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