उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

आ जाओ अलीबाबा फिर एक बार खेलने के लिये चोर चोर

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रोज  जब चोरों से  सामना होता है  अलीबाबा  तुम बहुत  याद आते हो सारे चोर  खुश  नजर आते हैं जब भी  चोर चोर  खेल रहे होते हैं और  जोर जोर से  च...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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