उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 5 सितंबर 2018

लिखना जरूरी हो जा रहा होता है जब किसी के गुड़ रह जाने और किसी के शक्कर हो जाने का जमाना याद आ रहा होता है

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नमन उन सीढ़ियों को जिस पर चढ़ कर बहुत ऊपर तक कहीं पहुँच लिया जा रहा होता है नमन उन कन्धों को जिन को सीढ़ियों को टिकाने के लिये प्रयोग किया ज...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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