उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

एक और साल अपना दिसम्बर लिये सामने से नजर आता है

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कितना कुछ यूँ ही छूट जाता है समय पर लिखा ही नहीं जाता है चलते चलते सड़क पर अचानक कुछ पक पका जाता है कहाँ रखो सम्भाल कर कलम कापी रखने का जम...
1 टिप्पणी:
बुधवार, 16 अप्रैल 2014

लिख आ कहीं जा कर किसी पेड़ की छाल पर ये भी

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ईश्वर के उस पुजारी की तरफ मत देख जिसे उसके मंदिर की जिम्मेदारी दी गई है उसका पूजा करने का तरीका तुझे पसंद नहीं भी हो सकता है पर यज्ञ हो रहा...
10 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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