उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 2 नवंबर 2015

खाली सफेद पन्ना अखबार का कुछ ज्यादा ही पढ़ा जा रहा था

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कुछ ज्यादा ही हलचल दिखाई दे रही थी अखबार के अपने पन्ने पर संदेश भी मिल रहे थे एक नहीं ढेर सारे और बहुत सारे क्या हुआ होगा समझ में नहीं आ ...
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शनिवार, 1 मार्च 2014

बादल भी कुछ नहीं लिखते बादलों को नहीं होती है घुटन

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शायद ज्यादा अच्छे होते हैं वे लोग जो कुछ नहीं लिखते है वैसे किसी के लिखने से ही लिखने वाले के बारे में कुछ पता चलता हो ऐसा भी जरूरी नहीं होत...
4 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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