उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 23 जुलाई 2015

कुछ लिखने वाले के कुछ पढ़ने वाले कुछ भी पढ़ते पढ़ते उसी के जैसे हो जाते हैं

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इतना इतना कितना कितना लिखता है देखा कर कभी तो सही खुद भी पढ़ कर जितना जितना लिखता है लिखने का कोई नियम कहीं भी किसी भी पन्ने में नजर नहीं ...
13 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

भगवान ले झेल आर टी आई

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ओ ऊपर वाले तूने लोग बनाये सब के सब अपने ही जैसे जैसा तू है पर कुछ थोड़े से लोग लेकिन तूने मेरे जैसे फिर काहे को बनाये क्या ये है किसी तरह क...
4 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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