उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 17 अक्टूबर 2013

आदमी जानवर को लिखना क्यों नहीं सिखाता है

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घोड़े बैल या गधे को अपने आप कहां  कुछ आ पाता है बोझ उठाना वो ही  उसको सिखाता है जिसके हाथ मे‌ जा  कर पड़ जाता है क्या उठाना है  कैसे उठाना है...
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गुरुवार, 19 सितंबर 2013

सोचता हूं कुछ अलग सा लिखूं पर जब ऐसा देखता हूं तो कैसे लिखूं

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बंदर को नहीं पता होता है  उसका एक एक करतब  मदारी के कितने काम का होता है  बंदर को बंदर से  जब लड़ाया जा रहा होता है  मदारी भी  मदारी की टांग ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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