उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 12 सितंबर 2013

प्रकृति विकेंद्रीकरण सीख

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हे प्रकृति छोटी धाराओं को  तू कब तक यूं ही  मिलाते ही चली जायेगी लम्बी थकाने वाली दूरी  चला चला कर समुद्र में  डाल कर के आयेगी कुछ सबक आदमी ...
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शनिवार, 31 दिसंबर 2011

खबर

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एक देता है कुछ अनुदान दो को दो कार्यक्रम बनाता है फिर तीन को बताता है तीन बहुत दूर से चार को बुलाता है अतिथि गृह में ठहराता है सलाद कटवाता ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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