उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 7 अक्टूबर 2015

ऊपर जाने के रास्ते समझो जरा नीचे से निकल कर जाने हो रहे हैं

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डूबते हुऐ जहाज में बहुत तेजी से हो रहे हैं एक नहीं एक साथ हो रहे हैं सारे हो रहे हैं सारे के सारे काम ही हो रहे हैं काम का दिखना जरूरी नह...
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शनिवार, 25 जुलाई 2015

किया कराया दिख जाता है बस देखने वाली आँखों को खोलना आना चाहिये

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बहुत कुछ दिख जाता है सामने वाले की आँखों में बस देखने का एक नजरिया होना चाहिये सभी कुछ एक सा ही होता है जब आदमी के सामने से आदमी होता है ...
17 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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