उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 1 जुलाई 2017

चिट्ठाकार चिट्ठाकारी चिट्ठे और उनका अपना दिन एक जुलाई आईये अपनी अपनी मनायें

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चिट्ठा  रोज भी लिखा जाता है  चिट्ठा  रोज  नहीं भी लिखा जाता है  इतना कुछ होता है आसपास  एक के नीचे  तीन  छुपा ...
रविवार, 13 मई 2012

हैप्पी मदर्स डे

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गाय भी माता कहलाती है सूखी हरी जैसी भी मिले घास खा ही जाती है दूध की नदियाँ बहाती है दूध देना बंद करती है तुरंत कसाई को बेची जाती है कुछ नही...
8 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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